एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS)

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    एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसे विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति (ST) के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है।

    यह योजना 1997-98 में शुरू हुई और इसका संचालन जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता है। EMRS का मुख्य उद्देश्य दूरदराज और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले ST बच्चों को मुफ्त और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है, ताकि वे उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकें।एकलव्य स्कूल के बारे में मुख्य जानकारी:उद्देश्य:अनुसूचित जनजाति के बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक मुफ्त आवासीय शिक्षा प्रदान करना।

    शैक्षिक, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर ध्यान देना।स्थानीय कला, संस्कृति और खेल को बढ़ावा देना।बच्चों को समाज में बदलाव के एजेंट के रूप में सशक्त बनाना।

    विशेषताएँ:मुफ्त शिक्षा: शिक्षा, आवास, भोजन, किताबें, और अन्य सुविधाएँ पूरी तरह मुफ्त हैं।क्षमता: प्रत्येक स्कूल में 480 छात्रों की क्षमता होती है, जिसमें लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर होती है।कक्षा संरचना: प्रत्येक कक्षा में अधिकतम 60 छात्र (2 सेक्शन में 30-30) हो सकते हैं। कक्षा 11 और 12 में विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी स्ट्रीम में 30-30 छात्रों की तीन सेक्शन होती हैं।पाठ्यक्रम: स्कूल CBSE या राज्य बोर्ड से संबद्ध होते हैं। कुछ राज्यों में अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में पढ़ाई होती है।

    सुविधाएँ: आधुनिक कक्षाएँ, कंप्यूटर लैब, खेल के मैदान, छात्रावास, सौर ऊर्जा, रसोई गार्डन, और मच्छररोधी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।स्थान और विस्तार:EMRS उन क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं जहाँ 50% से अधिक ST आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी निवासी हों। 2018-19 के बजट के अनुसार, 2022 तक ऐसे प्रत्येक ब्लॉक में EMRS स्थापित करने का लक्ष्य था।

    2025 तक देश भर में 470 से अधिक EMRS कार्यरत हैं, जिनमें 1,23,510 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।मध्य प्रदेश में 32 EMRS स्वीकृत हैं, जो देश में सबसे अधिक है।

    प्रवेश प्रक्रिया:प्रवेश चयन/प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से होता है।प्राथमिकता विशेष रूप से प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थियों और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के बच्चों को दी जाती है।गैर-ST छात्रों को 10% सीटों पर प्रवेश दिया जा सकता है।

    हाल के पोस्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में कक्षा 7, 8 और 9 के लिए आवेदन 6 मई तक स्वीकार किए जा रहे हैं।प्रबंधन:राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (NESTS) EMRS का प्रबंधन करती है, जो जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है।राज्य सरकारें स्कूलों के लिए मुफ्त जमीन और अतिरिक्त लागत प्रदान करती हैं।प्रत्येक स्कूल का वार्षिक खर्च ₹30 लाख तक केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

    अन्य गतिविधियाँ:खेल, कौशल विकास, और सांस्कृतिक गतिविधियों पर विशेष जोर।कुछ स्कूलों में NCC इकाइयाँ शुरू की गई हैं।महाराष्ट्र में EMRS छात्र शैक्षिक, खेल और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
    चुनौतियाँ:कुछ राज्यों में, जैसे मेघालय, भूमि और अन्य समस्याओं के कारण स्कूलों का निर्माण धीमा रहा है।शिक्षकों की कमी एक मुद्दा रहा है, जिसे दूर करने के लिए 38,800 शिक्षकों की भर्ती की योजना है।बिरसिंगपुर पाली, उमरिया का EMRS:यह स्कूल मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है और स्थानीय आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है।योगेंद्र और योगिता जैसे छात्रों की सफलता इस स्कूल की प्रभावशीलता को दर्शाती है।

    एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल शैक्षिक समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि आदिवासी बच्चों को उनके समुदाय और देश में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सशक्त बनाता है। बिरसिंगपुर पाली, उमरिया जैसे स्कूल इस दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं।अधिक जानकारी के लिए, आप जनजातीय कार्य मंत्रालय की वेबसाइट>) या स्थानीय EMRS की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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