एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) की शिक्षण विधियाँ

Kanha Masram
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एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) की शिक्षण विधियाँ अनुसूचित जनजाति (ST) के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई हैं। ये विधियाँ CBSE/राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम के साथ-साथ आधुनिक और प्रासंगिक शिक्षण तकनीकों को शामिल करती हैं। EMRS की शिक्षण विधियों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. छात्र-केंद्रित शिक्षण (Student-Centric Approach)अनुभवात्मक शिक्षण (Experiential Learning): बच्चों को व्यावहारिक गतिविधियों, प्रोजेक्ट्स, और फील्ड ट्रिप के माध्यम से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उदाहरण के लिए, विज्ञान पढ़ाने के लिए प्रयोगशाला प्रयोग और पर्यावरण अध्ययन के लिए स्थानीय जैव-विविधता की खोज।सहभागी शिक्षण (Participatory Learning):

समूह चर्चा, प्रस्तुति, और सहपाठी शिक्षण (Peer Learning) को बढ़ावा दिया जाता है ताकि बच्चे एक-दूसरे से सीख सकें।प्रश्न-आधारित शिक्षण (Inquiry-Based Learning): बच्चों को सवाल पूछने और समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे उनकी जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच विकसित होती है।

2. प्रौद्योगिकी का एकीकरण (Integration of Technology)स्मार्ट कक्षाएँ:
कई EMRS में डिजिटल बोर्ड, प्रोजेक्टर, और कंप्यूटर लैब हैं, जिनका उपयोग इंटरैक्टिव शिक्षण के लिए किया जाता है।
ई-लर्निंग संसाधन: ऑनलाइन पाठ्य सामग्री, शैक्षिक ऐप्स, और वीडियो ट्यूटोरियल के माध्यम से पढ़ाई को रोचक बनाया जाता है।डिजिटल साक्षरता: बच्चों को बुनियादी कंप्यूटर कौशल और इंटरनेट उपयोग सिखाया जाता है, जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार करता है।

3. स्थानीय संस्कृति और भाषा का समावेशद्विभाषी शिक्षण: जहाँ आवश्यक हो, स्थानीय आदिवासी भाषाओं के साथ अंग्रेजी या हिंदी में पढ़ाई की जाती है ताकि बच्चों को पाठ्यक्रम समझने में आसानी हो।सांस्कृतिक प्रासंगिकता: स्थानीय कला, शिल्प, लोककथाओं, और परंपराओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिए, आदिवासी समुदायों के इतिहास और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित पाठ।सामुदायिक जुड़ाव: स्थानीय समुदाय के बुजुर्गों या विशेषज्ञों को स्कूल में आमंत्रित किया जाता है ताकि बच्चे अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ सकें।

4. विशिष्ट शिक्षण तकनीकेंविभेदित शिक्षण (Differentiated Instruction): प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति और शैली को ध्यान में रखते हुए शिक्षक अलग-अलग स्तरों पर सामग्री प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के लिए, तेज़ी से सीखने वालों के लिए अतिरिक्त प्रोजेक्ट और धीमे सीखने वालों के लिए अतिरिक्त सहायता।रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Assessment): नियमित क्विज़, प्रोजेक्ट, और असाइनमेंट के माध्यम से बच्चों की प्रगति का आकलन किया जाता है, ताकि उनकी कमजोरियों को समय रहते सुधारा जा सके।खेल-आधारित शिक्षण (Game-Based Learning): गणित, भाषा, और विज्ञान जैसे विषयों को खेलों और पहेलियों के माध्यम से पढ़ाया जाता है।

5. कौशल विकास पर जोरजीवन कौशल (Life Skills): नेतृत्व, संचार, समय प्रबंधन, और समस्या समाधान जैसे कौशलों को पढ़ाई में शामिल किया जाता है।वोकेशनल प्रशिक्षण: कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार बुनियादी व्यावसायिक कौशल (जैसे कृषि, हस्तशिल्प, या बुनियादी तकनीकी प्रशिक्षण) सिखाए जाते हैं।खेल और शारीरिक शिक्षा: योग, पारंपरिक खेल, और आधुनिक खेलों (जैसे फुटबॉल, वॉलीबॉल) के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाता है।

6. सह-शैक्षिक गतिविधियाँसांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियाँ: नृत्य, संगीत, नाटक, और चित्रकला जैसी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जाता है।पर्यावरण शिक्षा: पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण, और जल संरक्षण जैसे विषयों पर प्रोजेक्ट और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC): कुछ EMRS में NCC इकाइयाँ हैं, जो अनुशासन और देशभक्ति की भावना विकसित करती हैं।

7. शिक्षक प्रशिक्षण और सहायताEMRS शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे नवीनतम शिक्षण विधियों, जैसे डिजिटल शिक्षण और समावेशी शिक्षा, में पारंगत हो सकें।शिक्षकों को आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक संवेदनशीलता और स्थानीय भाषाओं के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाता है।विशेषज्ञ शिक्षकों और परामर्शदाताओं की नियुक्ति की जाती है, जो बच्चों को करियर मार्गदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करते हैं।

8. विशेष उपायपहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों के लिए सहायता: कई EMRS छात्र पहली बार स्कूल जाने वाले परिवारों से आते हैं। उनके लिए अतिरिक्त कक्षाएँ और परामर्श सत्र आयोजित किए जाते हैं।

लड़कियों की शिक्षा: लड़कियों के लिए विशेष प्रोत्साहन, जैसे सुरक्षित छात्रावास और नेतृत्व कार्यक्रम, प्रदान किए जाते हैं।विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए:

कुछ स्कूलों में समावेशी शिक्षा के लिए प्रावधान हैं, जैसे विशेष शिक्षक और संसाधन।बिरसिंगपुर पाली, उमरिया के संदर्भ में:

बिरसिंगपुर पाली, उमरिया का EMRS स्थानीय आदिवासी बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन शिक्षण विधियों को लागू करता है।

स्कूल में आधुनिक कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ, और खेल सुविधाएँ हैं। योगेंद्र और योगिता जैसे छात्रों की सफलता इस बात का प्रमाण है कि स्कूल की शिक्षण विधियाँ प्रभावी हैं। स्थानीय भाषा और संस्कृति को शामिल करने के साथ-साथ स्कूल बच्चों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं और उच्च शिक्षा के लिए तैयार करता है।

निष्कर्ष:EMRS की शिक्षण विधियाँ आधुनिक और पारंपरिक दृष्टिकोण का एक अनूठा मिश्रण हैं, जो आदिवासी बच्चों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखते हुए वैश्विक अवसरों के लिए तैयार करती हैं। ये विधियाँ न केवल शैक्षिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास, रचनात्मकता, और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करती हैं।अधिक जानकारी के लिए, आप जनजातीय कार्य मंत्रालय की वेबसाइट (tribal.nic.in) या EMRS की आधिकारिक वेबसाइट (emrs.tribal.gov.in) पर जा सकते हैं।

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