तेलंगाना के सांगराड्डी (Sangareddy) स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज (Sigachi Industries) के रासायनिक/फार्मा प्लांट में कैसे एक भीषण विस्फोट और
अग्निकांड में करीब 40 मजदूरों की मृत्यु हुई।
📌 घटना का समय व स्थान
30 जून 2025 की सुबह लगभग 9 बजे IST (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) को तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के पासम्यलारम औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री में एक स्प्रे ड्रायर (spray dryer) यूनिट में अचानक एक जोरदार विस्फोट हुआ। इस यूनिट में सूखी प्रक्रिया के दौरान कोई अप्रत्याशित रासायनिक प्रतिक्रिया हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप आग फैल गई और तीन मंजिला भवन से ज्यादा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया ।
👷♂️ कितने मजदूर उपस्थित थे
घटना के समय फैक्ट्री में लगभग 143 लोग काम कर रहे थे । इनमें से 40 मजदूरों को मौके पर ही जान गंवानी पड़ी, जबकि 30 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए । कई शव इतने जले हुए थे कि उनकी पहचान के लिए डीएनए परीक्षण तक की जरूरत पड़ी ।
🧯 बचाव और राहत कार्य
राष्ट्रीय (NDRF) तथा राज्य (SDRF) बचाव दल, स्थानीय अग्निशमन विभाग, पुलिस और दो फायर-फाइटिंग रोबोट तैनात किए गए ।
फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने में मदद की और दल-अदल ने लीलापूर्ति चलाया।
कुछ शव अस्पताल में इलाज के दौरान भी काल-कवलित हुए
प्रथमतः आग लगने के बाद, और कुछ की मृत्यु बाद में भर्ती अवस्था में हुई ।
🧑⚕️ घायल मजदूरों की स्थिति
दिल्ली और हैदराबाद के पास स्थित अस्पतालों में भर्ती कई मजदूर वेंटिलेटर पर रखे गए और जिनमें 40–80% तक और कुछ में 10% तक जलने की स्थिति पाई गई ।
विशेषकर आंध्र, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से आये आंतरिक प्रवासी श्रमिकों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा ।
⚖️ सम्भावित कारण व सुरक्षा खामियां
कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह ‘रिएक्टर ब्लास्ट’ नहीं था, बल्कि स्प्रे ड्रायर इकाई में रसायनिक प्रतिक्रिया के कारण अचानक आग-धुआँ منتشر हुआ ।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि कई सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हुआ—जैसे समय-समय पर रखरखाव ना करना, आग अलार्म व तापमान सेंसर की अनुपस्थिति, पुराने उपकरणों का इस्तेमाल ।
मजदूरों ने पहले भी इन खतरों का संकेत दिया था, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई—जिसके परिणामस्वरूप यह हादसा अंजाम तक पहुंचा ।
🏛️ सरकारी और अन्य पक्षों की प्रतिक्रिया
तेलंगाना सरकार ने हर मृतक के परिवार को ₹1 करोड़ और गंभीर रूप से घायल मजदूरों को ₹10 लाख बतौर मुआवजा देने की घोषणा की ।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री रेवन्थ रेड्डी ने दुख जताया और जांच समिति का गठन करने का निर्णय लिया ।
राज्य सरकार ने 90 दिनों के लिए फैक्ट्री के संचालन पर रोक लगा दी तथा बाद में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को जांच का कार्य सौंपा ।
⛪ चर्च और सामाजिक प्रतिक्रिया
भारतीय कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक ऐसी त्रासदी है जिसमें “सबसे कमजोर, गरीब और प्रवासी मजदूर सबसे अधिक पीड़ित बनते हैं” हवाला देते हुए उचित जांच और श्रमिकों की सुरक्षा की जरूरत पर जोर दिया ।
चर्च ने सरकार से आग्रह किया है कि मौजूदा श्रम कानूनों की समीक्षा किया जाए, जिससे भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें ।
✅ निष्कर्ष व सीख
1. तकनीकी कारण: रासायनिक प्रक्रिया में अनियंत्रित प्रतिक्रिया व सुरक्षा मानकों की अनदेखी
2. सुरक्षा चूक: आग अलार्म/सेंसर की कमी, पुराने उपकरण, मजदूरों की शिकायतों को नजरअंदाज करना
3. प्रारूपिक त्रासदी: प्रवासी व कमजोर वर्गों का शोषण—पहले कई मिल चुके चेतावनियाँ
4. सामाजिक और कानूनी सुधार: मदद व मुआवजे के साथ-साथ जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम की आवश्यकता
यह हादसा सिर्फ एक फैक्ट्री ब्लास्ट नहीं, बल्कि मजदूरों की सुरक्षा, औद्योगिक जवाबदेही, और श्रमिकों के मानवाधिकारों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करने वाला था। इसकी जांच से सिर्फ मुआवजा मिलना ही पर्याप्त नहीं—पक्का सुरक्षा तंत्र, कानूनों की प्रभावी क्रियान्वयन और श्रमिकों की आवाज़ को गंभीरता से सुनना भविष्य में ऐसे हादसों से बचने में सहायक होगा।