लड़कियों को शिक्षा के बजाय घरेलू कामों में लगाने की बात कही जाती थी

Kanha Masram
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झारखंड के एक छोटे से दूरदराज़ गांव डाहू से हार्वर्ड विश्वविद्यालय तक सीमा कुमारी की यात्रा वाकई अद्भुत है।
जहाँ लड़कियों को शिक्षा के बजाय घरेलू कामों में लगाने की बात कही जाती थी, वहीं सीमा आज अपने सपनों के पीछे दौड़ रही हैं।

सिर्फ 9 साल की उम्र में, सीमा ने युवा फाउंडेशन के फुटबॉल प्रोग्राम से जुड़कर अपनी ज़िंदगी में एक नया अध्याय शुरू किया। फुटबॉल ने उनके लिए नए रास्ते खोले, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

फुटबॉल के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, जिससे उन्हें वाशिंगटन विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के समर प्रोग्राम में भाग लेने का अवसर मिला।

अपने शिक्षकों के प्रोत्साहन से, सीमा ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में आवेदन किया और पूरी स्कॉलरशिप के साथ वहां अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रही हैं।

प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने साहस, दृढ़ता और कड़ी मेहनत के बल पर जो सफलता हासिल की है, वह सच में सराहनीय है। 💜

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