उत्तरकाशी धराली त्रासदी: बादल फटा, ग्लेशियर टूटा या अस्थायी झील? जानिए 34 सेकंड में कैसे उजड़ा गांव

Kanha Masram









उत्तरकाशी धराली त्रासदी: 5 अगस्त की तबाही की पूरी कहानी

उत्तरकाशी धराली त्रासदी: 5 अगस्त की तबाही की पूरी कहानी

उत्तरकाशी (उत्तराखंड), 5 अगस्त 2025: हिमालय की गोद में बसा धराली गांव जो हर्षिल घाटी और गंगोत्री यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, मंगलवार को दोपहर अचानक एक भीषण आपदा की चपेट में आ गया। महज 34 सेकंड में पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया। यह घटना ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि पर्वतीय क्षेत्र किस कदर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में हैं।

📍 त्रासदी का समय और स्थान

  • तारीख: 5 अगस्त 2025
  • समय: दोपहर लगभग 2:45 बजे
  • स्थान: धराली गांव, उत्तरकाशी जिला, उत्तराखंड
  • क्षेत्र की ऊंचाई: 12,600 फीट (समुद्र तल से)

⚠️ 34 सेकंड की तबाही: चश्मदीदों की जुबानी

स्थानीय निवासी मोहन सिंह राणा बताते हैं, “सबकुछ सामान्य चल रहा था। अचानक तेज आवाज सुनाई दी और पानी के साथ काला मलबा दौड़ता हुआ आया। जब तक हम कुछ समझते, सब बह चुका था।” गांव के अन्य लोगों ने भी बताया कि इस घटना के लिए कोई चेतावनी नहीं मिली थी और बचने का समय भी नहीं मिला।

📸 वायरल वीडियो में क्या दिखा?

  • पहाड़ों से आता हुआ भारी जलप्रवाह
  • पानी में मिला स्लरी और बोल्डर
  • होटल, दुकानें और वाहन बहते हुए
  • स्थानीय लोग मदद के लिए चिल्लाते हुए

🧪 क्या बादल फटा था? विशेषज्ञों की राय

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 5 अगस्त को क्षेत्र में केवल 8-10 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।

  • बादल फटने की स्थिति में 100 मिमी/घंटा से ज्यादा वर्षा होती है
  • IMD ने इस क्षेत्र के लिए कोई रेड अलर्ट जारी नहीं किया था
  • इसलिए यह घटना बादल फटने की तकनीकी परिभाषा में नहीं आती

हालांकि जिला प्रशासन ने तीन जगहों – धराली, हर्षिल और सुखी टॉप – पर बादल फटने जैसी घटनाएं दर्ज की हैं।

🧊 ग्लेशियर या अस्थायी झील टूटी?

ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. डीपी डोभाल के अनुसार:

  • सैलाब की स्पीड 43 किमी प्रति घंटा थी
  • स्लरी और मलबे की भारी मात्रा दर्शाती है कि ऊपर कहीं अस्थायी झील (Temporary Lake) बनी थी
  • गूगल अर्थ इमेज में धराली के पीछे दो ग्लेशियर और झीलें दिखाई गई हैं
  • संभवतः उन्हीं में से किसी के टूटने से यह सैलाब आया

🌍 क्या जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है?

पहाड़ों में ऐसी आपदाएं अब सामान्य होती जा रही हैं:

  • पहले जहां ऊंचाई पर केवल बर्फ गिरती थी, अब बारिश भी हो रही है
  • ग्लेशियर कमजोर हो रहे हैं, दरारें बन रही हैं
  • नमी और तापमान में अचानक बदलाव से आपदा की आशंका बढ़ रही है

📊 प्रशासन का क्या कहना है?

  • अब तक 9 लोग लापता बताए जा रहे हैं
  • 30+ घर और दुकानें मलबे में दब गई हैं
  • SDRF और NDRF की टीम राहत कार्य में जुटी हैं
  • वायुसेना के हेलिकॉप्टर भी स्टैंडबाय पर हैं

📡 क्या अलर्ट मिला था?

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह का पूर्व चेतावनी (Early Warning) नहीं मिला। अगर ऐसी कोई व्यवस्था होती तो शायद जान-माल का नुकसान कम हो सकता था।

🏨 क्यों ज्यादा हुआ नुकसान?

  • धराली एक पर्यटन क्षेत्र है, यहां नदी किनारे कई होटलों और होमस्टे का निर्माण हुआ है
  • नदी के करीब बने निर्माण अचानक आई बाढ़ के शिकार हो गए
  • इलाके में जल निकासी की योजना नहीं थी

📢 विशेषज्ञों की अपील:

  1. ग्लेशियर और अस्थायी झीलों की रीयल टाइम निगरानी की जाए
  2. हिमालयी क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण पर रोक लगे
  3. स्थानीय लोगों के लिए आपदा प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए

🔗 यह भी पढ़ें:

📌 चेतावनी है ये घटना

धराली में जो हुआ वह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक वॉर्निंग है। हिमालयी क्षेत्र अब पहले जैसे नहीं रहे। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण और चेतावनी व्यवस्था की कमी मिलकर इन क्षेत्रों को तबाही की ओर धकेल रही हैं। अगर अब भी हम नहीं चेते, तो अगली त्रासदी और भी भयानक हो सकती है।

लेखक: MorningExpress टीम | तारीख: 6 अगस्त 2025


Follow:
हिंदी समाचार, सरकारी योजना, टेक्नोलॉजी अपडेट, हेल्थ टिप्स, मोटिवेशनल ब्लॉग, हिंदी में जानकारी, एजुकेशन ब्लॉग, ट्रेंडिंग खबरें
Leave a comment

Leave a Reply