रुपया गिरा राष्ट्रीय रिकॉर्ड पर, चालू खाता घाटा गहरा, और भारत-कनाडा रिश्तों में बहाली
नई दिल्ली, 2 सितम्बर 2025: अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से भारतीय आर्थिक परिदृश्य पर ताज़ा चुनौती बनी हुई है। रुपया गिर कर ₹ 88.33 प्रति डॉलर के निचले रिकॉर्ड को छूने के बाद वित्त मंत्रालय और आरबीआई चिंतित हैं। इस आर्थिक तनाव के बीच, भारत और कनाडा ने एक दशक भर के राजनयिक तनाव के बाद संबंधों को पुनर्स्थापित कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक सकारात्मक संकेत भेजा है।
रुपया का असामान्य गिराव
मंगलवार को रुपया गिरकर ₹ 88.33 प्रति डॉलर पर पहुंच गया—यह अब तक का सबसे कमजोर स्तर 4। इस गिरावट का प्रमुख कारण है अमेरिका द्वारा भारतीय वस्त्र, इंजीनियरिंग वस्तुओं पर 25% बढ़े हुए टैरिफ, जिससे कुल शुल्क भार लगभग 50% तक पहुंच गया।
अनियमित पूँजी प्रवाह और निर्यात-अवरोधों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने ₹2.4 अरब डॉलर तक निकासी की, जिससे चालू खाता घाटा और बढ़ गया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि व्यापार संबंधों में सुधार नहीं हुआ, तो और गिरावट संभव है।
चालू खाता में पुनः घाटे की स्थिति
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में चालू खाता घाटा $2.4 अरब तक पहुंच गया, जो पिछले सकारात्मक आंकड़ों से उलट है 5।
इसका कारण है निर्यात की धीमी वृद्धि जबकि तेल और अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ा—a व्यापार घाटे का मुख्य कारण। वित्तीय स्थिरता पर यह एक तरह की चेतावनी है, खासकर मौजूदा वैश्विक मुद्रास्फीति की पृष्ठभूमि में।
कनाडा के साथ राजनयिक रिश्तों में फिर से गर्मजोशी
एक महत्वपूर्ण सामरिक सफलता के रूप में, कनाडा और भारत ने दस महीने के राजनयिक तनाव को खत्म करते हुए नए हाई कमिश्नर नियुक्त किए हैं 6।
यह तनाव 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या घटनाक्रम से शुरू हुआ था, जिसमें कनाडाई अधिकारियों ने भारतीय एजेंट्स पर संगठित अपराध से जानकारी साझा करने का आरोप लगाया था। दोनों देशों की सरकारों ने अब इस मामले पर संवाद और सम्मानजनक बहाली की दिशा में स्पष्ट कदम उठाया है।
गहराई से समझें: आर्थिक धारा से लेकर सौहार्द तक
- अंतर्राष्ट्रीय विश्वास का संकेत: कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों की बहाली भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता है।
- आर्थिक चेतावनी: रुपया गिरने और चालू खाता घाटे ने संकेत दिया कि भारत को निर्यात वृद्धि और रणनीतिक व्यापार सुधार की दिशा में काम करना चाहिए।
- नीति चुनौतियाँ: चीनी और अमेरिकी बाजारों में प्रतिस्पर्धा और टैरिफ वृद्धि के बीच भारत के लिए आर्थिक सुरक्षा की रणनीति अब और महत्वपूर्ण हो गई है।
अगले कदम क्या हो सकते हैं?
– सरकार और RBI को चाहिए कि वे रणनीतिक रपया बाजार हस्तक्षेप, व्यापार उदारीकरण और निर्यात संवर्धन पर ध्यान दें।
– कनाडा और अन्य पश्चिमी देश (विशेषकर G7) के साथ सहयोग और संवाद से भारत की वैश्विक छवि मजबूत हो सकती है।
– निवेशकों को भरोसा बनाने के लिए राह खुली हो, इस पर विशेष ध्यान दें—इससे वित्तीय बाजारों में स्थिरता बनेगी।
रुपये की गिरावट और चालू खाता घाटा आर्थिक चुनौतियों का संकेत देते हैं, जबकि कनाडा के साथ राजनयिक रिश्तों में सुधार एक सकारात्मक कूटनीतिक मोड़ है। इन दोनों रुझानों को संतुलित रखते हुए ही भारत की आर्थिक और वैश्विक स्थिति को मजबूती मिलेगी।
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