गुलामी दो प्रकार की होती है

Kanha Masram
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गुलामी दो प्रकार की होती है
●एक शारीरिक गुलामी
●और एक मानसिक गुलामी।

●शारीरिक गुलामी से आजाद होना
बहुत आसान होता है
●लेकिन मानसिक गुलामी से
आजाद होना बहुत कठिन होता है।

क्योंकि मानसिक गुलामी वास्तविक शक्तियों को भुला देती है।

धरती पर पाए जाने वाले सभी जीवों में
सबसे बुद्धिमान मनुष्य होता है।

मनुष्य ने बुद्धि के बल पर अपने से अधिक
ताकतवर जीव जंतुओं को भी अपना
गुलाम बनाया है।

मनुष्य द्वारा जानवरों को गुलाम बनाए जाने
का ये कार्य केवल जानवरों तक सीमित नहीं है।

मनुष्य ने मनुष्य को भी बुद्धि के बल पर
गुलाम बनाने की कोशिश की है
और उसमें सफल भी रहा है।

अपनी गुलामी को आप आसानी से
पहचान सकते हैं
इसके लिए जरूरत है हर काम
को करने से पहले उसे अच्छी तरह
समझिए, परखिये, तर्क पर उतारिये।

जो तर्क से कभी पराजित नहीं होता वही सत्य है
अर्थात सत्य ही केवल तर्कसंगत हो सकता है।

इसलिए जो काम तर्क संगत न लगे उसमें अपना समय, ऊर्जा और धन व्यर्थ मत कीजिए

★क्योंकि आप इन्सान हैं
और अपने बुद्धि का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अन्यथा आपको कोई मानसिक गुलाम बना देगा
और जो चाहे वह करवा लेगा
फिर आप पीढ़ी दर पीढ़ी गुलाम बने रहेंगे
और आपको पता भी नहीं चलेगा कि हमें
मानसिक रूप से गुलाम बनाया गया है।

शारीरिक गुलामी केवल उसी व्यक्ति को झेलनी पड़ती है जो कहीं कैद है

लेकिन मानसिक गुलामी पूरे परिवार को झेलनी पड़ती है

जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है जिसमें धार्मिक कर्मकांड भी शामिल होते हैं।

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