India and pakistan पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव का बढ़ता

Kanha Masram
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव का बढ़ता दौर:

06 मई 2025जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोरा है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गहरा कर दिया है।

इस हमले ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हलचल मचा दी है, और दोनों देशों के बीच बढ़ती तल्खी ने क्षेत्रीय शांति के लिए नए सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।पहलगाम हमले का पृष्ठभूमिपहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए जाना जाता है, इस बार एक खौफनाक आतंकी हमले का गवाह बना। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई और क्षेत्र में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया।

हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने स्पष्ट रूप से नहीं ली है, लेकिन प्रारंभिक जांच में सीमा पार से आतंकी गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है। इस घटना ने भारत सरकार को त्वरित और कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।

भारत का कड़ा रुखहमले के तुरंत बाद भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कोई कोताही नहीं बरती। सरकार ने बगलिहार और सलाल डैम बंद कर चिनाब नदी का लगभग 90% पानी रोक दिया। यह कदम न केवल एक प्रतीकात्मक जवाब है, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

चिनाब नदी का पानी पाकिस्तान के लिए सिंचाई और बिजली उत्पादन का प्रमुख स्रोत है, और इस कदम ने वहां हड़कंप मचा दिया है।इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें सेंधा नमक और खजूर जैसे उत्पाद शामिल हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को और कमजोर कर सकता है।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस मुद्दे पर समर्थन मांगा है, यह दावा करते हुए कि सीमा पार से आतंकवाद क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियापहलगाम हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र तक पहुंची। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने इस मुद्दे पर एक आपातकालीन बंद कमरे की बैठक बुलाई, जिसमें हमले के कारण उत्पन्न तनाव पर चर्चा हुई।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हमले की कड़ी निंदा की और भारत-पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा, “हिंसा और आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। दोनों देशों को बातचीत के जरिए तनाव कम करना चाहिए।”हालांकि, बैठक में कोई ठोस प्रस्ताव पारित नहीं हुआ, लेकिन यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है।

कई देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई, जबकि कुछ ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया।पाकिस्तान की प्रतिक्रियापाकिस्तान ने भारत के पानी रोकने के कदम को “अनुचित और उकसावे वाला” करार दिया है। पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि यह कदम सिंधु जल संधि का उल्लंघन है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच जल संसाधनों का बंटवारा होता है।

पाकिस्तान ने इस मुद्दे को विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की धमकी दी है। साथ ही, पाकिस्तान ने अपनी सेना को सीमा पर हाई अलर्ट पर रखा है, जिससे युद्ध जैसे हालात की आशंका बढ़ गई है।आगे क्या?पहलगाम हमले और उसके बाद के घटनाक्रम ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक नाजुक मोड़ पर ला खड़ा किया है। भारत का यह रुख स्पष्ट करता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान के लिए पानी और व्यापार पर भारत के कदम आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ा सकते हैं।इस बीच, क्षेत्रीय शांति के लिए यह जरूरी है कि दोनों देश बातचीत का रास्ता अपनाएं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख शक्तियों, को इस तनाव को कम करने में मध्यस्थता की भूमिका निभानी होगी।

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