एम. एस. स्वामीनाथन की जयंती 2025: भारत ने हरित क्रांति के जनक को दी श्रद्धांजलि
7 अगस्त 2025: आज भारत ने हरित क्रांति के जनक और भारत रत्न से सम्मानित महान वैज्ञानिक प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिल्ली में आयोजित शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
दिल्ली में आयोजित “एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन” में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामीनाथन जी के विजन और कार्यों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। पीएम मोदी ने कहा:
“प्रो. स्वामीनाथन का योगदान न केवल कृषि के क्षेत्र तक सीमित था, बल्कि उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर और खाद्य सुरक्षा की दिशा में अग्रसर किया। उनका विजन आज भी हमें प्रेरित करता है।”
विज्ञान को समाज तक पहुंचाने की भावना
पीएम मोदी ने यह भी साझा किया कि स्वामीनाथन जी का मानना था – “विज्ञान केवल खोज के बारे में नहीं है, बल्कि इसे वितरित करने के बारे में भी है।” और उन्होंने अपने कार्यों से इस विचार को साकार किया।
सोशल मीडिया पर देश की श्रद्धांजलि
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर देशभर के नेताओं और नागरिकों ने स्वामीनाथन जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- @gupta_rekha ने लिखा: “स्वामीनाथन जी ने भारत को खाद्यान्न संकट से निकालकर आत्मनिर्भर बनाया।”
- कई वैज्ञानिकों और युवा छात्रों ने भी उनकी प्रेरणादायक विरासत को याद किया।
हरित क्रांति और भारत की कृषि क्रांति
1960 के दशक में उच्च उपज वाली गेहूं और चावल की किस्मों के विकास के कारण भारत ने खाद्य संकट से मुक्ति पाई। यह हरित क्रांति थी, जिसे प्रो. स्वामीनाथन ने नेतृत्व प्रदान किया। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत एक खाद्यान्न आयातक देश से खाद्य अधिशेष वाला देश बन गया।
उनकी मृत्यु और विरासत
प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन का निधन 28 सितंबर 2023 को हुआ था। उनकी जयंती पर कोई नया विवाद या राजनीतिक बयान सामने नहीं आया, लेकिन पूरा देश उन्हें गर्व से याद कर रहा है।
जानिए कौन थे एम. एस. स्वामीनाथन?
- पूरा नाम: मोंगोलुरी स्वामीनाथन
- जन्म: 7 अगस्त 1925
- सम्मान: पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न
- उपलब्धियां: हरित क्रांति के जनक, MS Swaminathan Foundation के संस्थापक
देश के लिए एक प्रेरणा
प्रोफेसर स्वामीनाथन की सोच ने दिखाया कि विज्ञान, नीति और समाज एक साथ आकर आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं। उनकी सोच आज भी किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को दिशा दे रही है।
🔗 संबंधित लिंक
📌 अंतिम पंक्तियां
एम. एस. स्वामीनाथन की जयंती पर भारत ने न केवल उन्हें श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प भी दोहराया। आज के वैज्ञानिक और युवा उनकी विरासत से प्रेरणा लेकर भारत को कृषि और तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।