NISAR मिशन 2025: NASA-ISRO का ऐतिहासिक संयुक्त उपग्रह मिशन

Kanha Masram






NISAR मिशन 2025: NASA और ISRO का ऐतिहासिक मिशन


🚀 NISAR मिशन 2025: NASA और ISRO का ऐतिहासिक मिशन

30 जुलाई 2025 को भारत के श्रीहरिकोटा से एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन लॉन्च होने जा रहा है — NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar)। यह मिशन ना केवल भारत-अमेरिका साझेदारी का प्रतीक है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय निगरानी और पृथ्वी की सतह पर हो रहे बदलावों को समझने के लिए एक क्रांतिकारी कदम भी है।

NISAR मिशन 2025: NASA और ISRO का संयुक्त उपग्रह

📌 मिशन का उद्देश्य

  • ➡️ पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन निगरानी
  • ➡️ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की सटीक जानकारी
  • ➡️ ग्लेशियरों की निगरानी और समुद्र स्तर परिवर्तन
  • ➡️ वन कटाई, भूकंप, और ज्वालामुखी गतिविधियों का अध्ययन

🔧 मिशन की संरचना

  • ➡️ L-बैंड SAR: NASA द्वारा डिजाइन किया गया
  • ➡️ S-बैंड SAR: ISRO/SAC द्वारा डिजाइन और परीक्षण
  • ➡️ बूम और रिफ्लेक्टर: NASA द्वारा डिज़ाइन और एकीकृत
  • ➡️ सैटेलाइट बस और संयोजन: ISRO द्वारा URSC में

📅 मिशन चरणों का विवरण

  • ➡️ प्रक्षेपण चरण: 30 जुलाई 2025 को GSLV-F16 द्वारा
  • ➡️ परिनियोजन चरण: 9 मीटर बूम पर 12 मीटर रिफ्लेक्टर की तैनाती
  • ➡️ कमीशनिंग चरण: 90 दिन का ऑर्बिट चेकआउट
  • ➡️ विज्ञान चरण: नियमित डेटा संग्रहण, वैज्ञानिक प्रयोग, Cal/Val प्रक्रिया

🌍 क्यों है NISAR मिशन खास?

  • ➡️ दुनिया का पहला डुअल SAR इमेजिंग सैटेलाइट
  • ➡️ जलवायु परिवर्तन की निगरानी में गेम-चेंजर
  • ➡️ भारत-अमेरिका की स्पेस पार्टनरशिप को नई ऊंचाई
  • ➡️ ओपन डेटा: वैज्ञानिकों, स्टूडेंट्स और नीति निर्माताओं के लिए मुफ़्त एक्सेस
  • ➡️ ISRO-NASA तकनीक का संगम: स्वदेशी और विदेशी क्षमता का मेल

NISAR मिशन 2025: डुअल SAR रडार तकनीक से लैस भारत-अमेरिका का साझा उपग्रह

🔬 वैज्ञानिक योगदान और भविष्य की दिशा

NISAR मिशन से जो डेटा प्राप्त होगा, वह वैज्ञानिकों को जलवायु मॉडलिंग, भूस्खलन की भविष्यवाणी, और समुद्री तटीय क्षरण जैसी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। यह मिशन भविष्य की पर्यावरण नीति निर्धारण में आधार बनेगा।

🌐 वैश्विक स्तर पर प्रभाव

NISAR एक अंतरराष्ट्रीय मॉडल स्थापित करेगा, जहां दो बड़े अंतरिक्ष एजेंसियां — NASA और ISRO — मिलकर वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु कार्य कर रही हैं। इससे भारत की तकनीकी क्षमता और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता दोनों में इज़ाफा होगा।

यह मिशन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आने वाले समय में मानवता को जलवायु संकट से लड़ने का एक सशक्त हथियार प्रदान करेगा।📢 जुड़े रहिए MorningExpress.site के साथ — जहां हर मिशन की खबर मिलेगी सटीक, स्पष्ट और सबसे पहले। नीचे कमेंट करें या शेयर करें यदि यह जानकारी उपयोगी लगी हो।


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