भारत और चीन सबंध Chaina vs India

4 Min Read

Recent Comments

    भारत-चीन संबंध:

    एक जटिल और गतिशील इतिहासभारत और चीन, दो प्राचीन सभ्यताएँ और एशिया की उभरती महाशक्तियाँ, अपने संबंधों में सहयोग और तनाव का एक जटिल मिश्रण साझा करती हैं। इनका रिश्ता ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों से प्रभावित है। नीचे भारत-चीन संबंधों का एक संक्षिप्त ब्लॉग दिया गया है,

    जो उनकी वर्तमान स्थिति और हाल के घटनाक्रमों पर केंद्रित है।ऐतिहासिक पृष्ठभूमिभारत और चीन के बीच संबंध प्राचीन काल से रहे हैं, जब सिल्क रोड के माध्यम से व्यापार और बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।

    आधुनिक काल में, भारत ने 1950 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) को मान्यता देकर राजनयिक संबंध स्थापित किए, जो गैर-कम्युनिस्ट देशों में पहला था। 1954 में दोनों देशों ने पंचशील सिद्धांतों की घोषणा की, जो शांतिपूर्ण सहअस्तित्व पर आधारित थे।हालांकि, 1962 के भारत-चीन युद्ध ने संबंधों को गहरा झटका दिया। अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश पर सीमा विवाद के कारण यह युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारत की हार हुई और द्विपक्षीय विश्वास को ठेस पहुंची।

    इसके बाद, 1976 में राजनयिक संबंध बहाल हुए, और 1988 में राजीव गांधी की चीन यात्रा ने संबंधों को सामान्य करने की प्रक्रिया शुरू की।वर्तमान स्थिति और सीमा विवादभारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है, स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है। यह विवाद अक्साई चिन, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे क्षेत्रों में तनाव का कारण बनता है। हाल के वर्षों में, खासकर 2020 की गलवान घाटी झड़प, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए, ने संबंधों को निचले स्तर पर पहुंचा दिया।

    हालांकि, 2024 में दोनों देशों ने LAC पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए। अक्टूबर 2024 तक, भारत और चीन ने विवादित सीमा क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली और मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल कर दी। दोनों देश गश्त नियमों पर भी सहमत हुए, जो संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।हाल के घटनाक्रमकूटनीतिक प्रयास:

    जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। इसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना, पत्रकारों के लिए वीजा, और सीमा पार नदियों के डेटा साझा करना शामिल है। यह कदम 2025 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर उठाया गया।

    आर्थिक संबंध: भारत और चीन के बीच व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन भारत का व्यापार घाटा लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हाल ही में, अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद, चीन ने भारत के साथ व्यापार घाटा कम करने की इच्छा जताई है।

    भू-राजनीतिक गतिशीलता: दोनों देश क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, खासकर दक्षिण एशिया में। नेपाल जैसे देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है।चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँभारत-चीन संबंधों में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

    सीमा विवाद: देपसांग और देमचोक जैसे क्षेत्रों में पूर्ण डिसएंगेजमेंट अभी बाकी है।

    विश्वास की कमी: 1962 के युद्ध और हाल की झड़पों ने आपसी विश्वास को कमजोर किया है।

    आर्थिक निर्भरता: भारत की चीन पर आयात निर्भरता एक रणनीतिक चुनौती है।फिर भी, दोनों देशों ने कूटनीति और वार्ता के माध्यम से संबंधों को सुधारने की इच्छा दिखाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सीमा विवाद का समाधान हो जाए, तो भारत और चीन आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग में नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

    Trending Web Stories

    Follow:
    हिंदी समाचार, सरकारी योजना, टेक्नोलॉजी अपडेट, हेल्थ टिप्स, मोटिवेशनल ब्लॉग, हिंदी में जानकारी, एजुकेशन ब्लॉग, ट्रेंडिंग खबरें
    Leave a comment

    Leave a Reply

    79वां स्वतंत्रता दिवस: छोटे हाथों में बड़ा देशभक्ति का जज़्बा “भारत के गौरवशाली मराठा किले बने वर्ल्ड हेरिटेज साइट” प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना 2025 | 3.5 करोड़ नई नौकरियां UPSC Aspirants – सफलता की ओर कदम”