रक्षा खरीद परिषद (DAC) की ऐतिहासिक बैठक

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    आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और बड़ा कदम 🇮🇳

    5 जुलाई 2025 को भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती देने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

    रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (Defence Acquisition Council – DAC) की बैठक आयोजित हुई, जिसमें लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये की 10 प्रमुख पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

    यह सभी प्रस्ताव स्वदेशी स्रोतों (Indigenous Sourcing) के माध्यम से किए जाएंगे, जो भारत को आत्मनिर्भर (Atmanirbhar) बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम है।

    स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा

    भारत लंबे समय से विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भर रहा है। लेकिन अब सरकार की नीति स्पष्ट है – “Make in India, Make for the World”। रक्षा खरीद परिषद का यह निर्णय इसी नीति का विस्तार है। ये सभी प्रस्ताव स्वदेशी डिजाइन, विकास और उत्पादन को प्राथमिकता देते हैं, जिससे न केवल भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग को भी भारी बढ़ावा मिलेगा।

    जिन प्रणालियों को स्वीकृति मिली है:

    1. Armoured Recovery Vehicles (ARVs)

    टैंकों और भारी बख्तरबंद वाहनों को युद्ध के मैदान में तुरंत रिपेयर या हटाने के लिए इन गाड़ियों का प्रयोग होता है। ये सेना की गतिशीलता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

    2. Electronic Warfare System

    आधुनिक युद्ध में सूचना और संचार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। यह प्रणाली दुश्मन के रडार, कम्युनिकेशन और कमांड सिस्टम को जाम कर सकती है, जिससे भारतीय सेना को रणनीतिक बढ़त मिलती है।

    3. Integrated Common Inventory Management System (ICIMS)

    इस प्रणाली से रक्षा बलों को लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन को अधिक सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। इससे संसाधनों की उपलब्धता, रख-रखाव और खर्चों पर बेहतर नियंत्रण संभव होगा।

    4. Surface-to-Air Missiles (SAMs)

    हवा से आने वाले खतरों जैसे ड्रोन, फाइटर जेट और मिसाइलों को मार गिराने के लिए ये मिसाइलें तैयार की जाएंगी। यह भारत की वायु रक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूती देगी।


    5. Moored Mines

    समुद्र में दुश्मन के जहाजों को रोकने या उनके मूवमेंट पर नियंत्रण के लिए ये समुद्री माइंस उपयोगी होते हैं।

    6. Mine Counter Measure Vessels (MCMVs)

    जहां माइंस होती हैं, वहां सेफ्टी भी उतनी ही जरूरी होती है। ये जहाज समुद्री माइंस को खोजने और निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे, जिससे नौसेना को सुरक्षित संचालन में मदद मिलेगी।

    7. Super Rapid Gun Mount (SRGM)

    ये गन सिस्टम नौसेना के जहाजों पर लगाए जाएंगे और बहुत ही तेज़ी से दुश्मन के टारगेट्स को निशाना बना सकते हैं। यह प्रणाली आधुनिक युद्धपोतों के लिए अनिवार्य है।

    8. Submersible Autonomous Vessels

    ये बिना चालक के पानी के नीचे चलने वाले यंत्र हैं, जो निगरानी, सर्वे और दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं। भारत की अंडरवॉटर डोमिनेंस के लिए ये बेहद जरूरी हैं।

    आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम

    इन सभी प्रस्तावों के लिए ‘Acceptance of Necessity (AoN)’ दी गई है। इसका अर्थ है कि रक्षा मंत्रालय इन वस्तुओं की खरीद के लिए अब प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इन परियोजनाओं से रक्षा उत्पादन में लगी कंपनियों, MSMEs और स्टार्टअप्स को भारी प्रोत्साहन मिलेगा।

    इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब रक्षा जरूरतों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहता। इसके साथ ही यह कदम देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का माध्यम भी बन सकता है।

    रक्षा खरीद परिषद का यह निर्णय भारतीय सेना को नई तकनीक, सशक्त उपकरण और आधुनिक हथियार प्रणाली प्रदान करेगा। साथ ही यह देश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा, क्योंकि यह रोजगार, निवेश और तकनीकी विकास को गति देगा।

    यह सिर्फ रक्षा बलों की मजबूती नहीं है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता, वैज्ञानिक क्षमता और रणनीतिक संप्रभुता का प्रतीक है

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